COP28 Decisions , Global warming pose threats to Climate Vulnerable Countries and Effect of Fossil fuel
COP28 की साझा कांफ्रेंस चल रही है दुबई में, और UAE इसे आयोजित कर रहा है। इस शिखर सम्मेलन में कई ऐसे मुद्दे हैं जो खटाई में पड़ते दिख रहे हैं ।
मुख्य उद्देश्य की बात करें तो ग्लोबल वार्मिंग से बढ़ने वाले टेंप्रेचर को 1.5degree तक रोक कर रखना और इसके लिए सॉल्यूशंस ढूढना है।पर चर्चा के दौरान कई देश इसपे राजी होने से कतरा हैं साथ ही कई खेमों में बट ते दिखे।
COP28 जिसका पूरा नाम है United Nations Climate Change Conference or Conference of the Parties of the UNFCCC इसी को शार्ट में कहा गया COP28.OPEC’s displeasure in COP28, after interference, COP28 withdrew the decision to eliminate fossil fuels
organisation हैं जो इस स्थिति से बचने के लिए महत्वपूर्ण कार्य कर रहे है
आजकल विश्व स्तर पर कई organisation हैं जो इस स्थिति से बचने के लिए महत्वपूर्ण कार्य कर रहे है ।कई संगठन वैश्विक स्तर पर कई देशों के साथ मिलकर साझा प्रयास कर रहे हैं , जैसे यूनाइटेड नेशंस एनवायरनमेंट प्रोग्राम , अर्थ जस्टिस, citizen climate body, environment Defence fund etc , इनके साथ वैश्विक स्तर पर सभी देश साझा प्रयास भी कर रहे हैं जिससे एक साथ एक मंच पर वह डिसीजन ले सके की हम पर्यावरण को कैसे बचाएं ।
आजकल दुबई में COP28 समिट चल रही है जिसका मकसद जलवायु परवर्तन पर सयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन में शामिल होने वाले देश एक साथ एक मंच पर देश की प्रगति और जलवायु परिवर्तन पर बहुपक्षीय प्रतिक्रियाओं पर बातचीत कर एक साझा निर्णय लेना है ।
भारत भी इस समिट का हिस्सा है , और अपनी सहभागिता प्रस्तुत करता है ।
पहली मांग
पहली मांग सयुक्त राज्य अमेरिका , यूरोपीय यूनियन और कई गरीब देश जो इस जवायूं परिवर्तन की वजह से अति संवेदनशील हैं ने रखी , उनका कहना था की आने वाले वर्षो में जीवाश्म ईंधन का पूरी तरह से उपयोग बंद हो
इसको लेकर कई देश आपस में भिड़ गए।
गंभीर चरण
जहा साउदी अरब और रूस इस पक्ष में दिखे की की दुबई में होने वाला सम्मेलन केवल पॉल्यूशन काम करने वाले कारकों पर ध्यान केंद्रित करना था ना की जीवाश्म ईंधन को खत्म करना।
वही दुबई COP28 के अध्यक्ष सुल्तान अल-जबर शनिवार रात तक इस बात पे जोर देते दिखे की अंतिम समझौते पे सभी राष्ट्र तेजी लाएं ।
वहीं OPEC के सेक्रेटरी जनरल हैथम अल गैस ने पहली बार U.N. की जलवायु वार्ता में हस्तक्षेप किया उन्होंने कहा की उत्सर्जन से निपटने के यथार्थवादी दृष्टिकोण की आवश्यकता है एक जो आर्थिक विकास को सक्षम बनाता है गरीबी उन्मूलन में मदद करता है और एक ही समय में रेसिलेंस बढ़ाता है।
गंभीर चरण
भारत ने इस पर अपनी कोई राय न देते हुए नवीनीकरण ऊर्जा स्रोतों को बढ़ावा देने पर जोर दिया।
शिखर सम्मेलन मंगलवार को समाप्त होने वाला है, दुबई शिखर सम्मेलन में लगभग 200 देशों के सरकारी मंत्री जीवाश्म ईंधन गतिरोध को हल करने की कोशिश में शामिल हो गए हैं।
जलवायु के प्रति संवेदनशील देशों ने कहा
जलवायु के प्रति संवेदनशील देशों ने कहा कि COP28 में जीवाश्म ईंधन के उल्लेख को अस्वीकार करने से पूरी दुनिया को खतरा होगा।
मार्शल द्वीप समूह की जलवायु दूत टीना स्टेगे ने एक बयान में कहा, “ओपेक देशों के सभी नागरिकों सहित पृथ्वी पर सभी लोगों की समृद्धि और भविष्य को जीवाश्म ईंधन से अधिक जोखिम में डालने वाली कोई चीज़ नहीं है।”
मार्शल द्वीप, जो जलवायु-प्रेरित समुद्र स्तर में वृद्धि से बाढ़ का सामना करता है, वर्तमान में मजबूत उत्सर्जन-कटौती लक्ष्यों और नीतियों पर जोर देने वाले देशों के उच्च महत्वाकांक्षा गठबंधन समूह की अध्यक्षता करता है।
उन्होंने कहा, जलवायु परिवर्तन को पूर्व-औद्योगिक तापमान से 1.5 डिग्री सेल्सियस के भीतर रखने के वैश्विक लक्ष्य को पूरा करने के लिए, गठबंधन “जीवाश्म ईंधन को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने पर जोर दे रहा है, जो इस संकट की जड़ है।” “1.5 पर समझौता नहीं किया जा सकता है, और इसका मतलब है जीवाश्म ईंधन का अंत।”
क्या आपने कभी सोचा है की आप सुबह सोकर उठे तो आपके घर के बाहर सिर्फ पानी ही पानी है , और आप को समझ नही आ रहा की आप क्या करेंगे। यह हो सकता है , आपके साथ ना सही आपके आने वाली नस्लों के साथ तो जरूर होगा । और यह है ग्लोबल वार्मिंग इफेक्ट का अगला पड़ाव , सिर्फ हम जहा सोच पा रहे हैं कई ऐसे देश हैं जो इस दिक्कत भरी situation से हर दिन जूझ रहे हैं , यह सच में भयावह है।